इसके आलावा 3 से 14 अक्तूबर २०१० में राष्ट्रमंडल खेलों में 71 देशों के भागीदारी के लिए अंतरार्ष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता कराना एक बड़ी उपलब्धि है.
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मैंने अपने एक लेख में कपिल देव के लिए लिखा था कि उन्हें लोगों के जजबातों का दोहन करने के लिए सभी देशों की अलग टीमें बनवाकर प्रतियोगिता कराना चाहिऐ तभी लोग उसने जुडेंगे पर वह चन्द विदेशी खिलाडियों को बुलाकर रह गए और उनका शो जनचर्चा का विषय नहीं बन पाया जिससे वह आगे नहीं जा सके।